करनाल। पानीपत की पावन भूमि का नाम जिस युद्ध और मराठों की वीरता के कारण इतिहास में दर्ज हुआ शुक्रवार को उसी पानीपत के तीसरे युद्ध के 261 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में गांव बसताड़ा के स्टेडियम में शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पशुधन विकास योजना हरियाणा के अध्यक्ष रणधीर सिंह गोलन और घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रसिद्ध इतिहासकार मधुसुदन होल्कर, विजेंद्र जाधव धनगर इतिहासकार, गाजियाबाद ने शिरकत की। इसके अलावा कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे मराठों सहित पाल समाज के लोगों ने एकजुटता दिखाकर पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन समस्त बसताड़ा गांव की ओर से किया गया। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता वीरेंद्र मराठा ने की। वीरेंद्र मराठा ने समारोह में पहुंचने पर मुख्यअतिथियों और विशिष्ट अतिथियों का स्मृति चिह्न और शॉल भेंटकर स्वागत किया। वीरेंद्र मराठा ने तीसरे युद्ध और युद्ध के बाद की सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में बताया। वीरेंद्र मराठा ने कहा कि युद्ध के बाद की परिस्थितियों पर अभी ओर शोध की आवश्यकता है। वहीं मुख्य अतिथि पशुधन विकास योजना के चेयरमैन रणधीर गोलन ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। पशुधन विकास योजना हरियाणा के अध्यक्ष रणधीर सिंह गोलन ने कहा कि पानीपत के तीसरे युद्ध में देश की रक्षा के लिए लाखों की संख्या में मराठा शहीद हुए। इसी रणभूमि में आज उनको श्रद्धांजलि देने के लिए मुझे यहां आने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। पानीपत का तीसरा युद्ध इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जो मराठा योद्धा इस युद्ध में बचे गए थे, वो वापस नहीं गये और यहीं पानीपत कुरूक्षेत्र के ढ़ाक के जंगलों में अपना बसेरा बनाकर रहे। पता चला है कि मराठों में 96वंश हैं। उन्हीं में एक रोड़वंश भी है। यहां रहने वालों ने अपने आपको रोड़वंशी कहना शुरू कर दिया और धीरे धीरे अपनी पहचान को ही भूल गए। अब बीस वर्ष पहले हमें पता चला कि हम उन्हीं महान योद्धाओं के वंशज हैं। तो 2003 में इसी बसताड़ा स्टेडियम में पहली बार पानीपत युद्ध के बलिदानियों को याद किया गया था। आज मेरा परम सौभाग्य है कि मैं अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने इस महान कार्यक्रम में आया हूं।
वहीं हरविंद्र कल्याण ने कहा कि आज का दिन बहुत बड़ा दिन है। वास्तव में आज का ये दिन उन वीर योद्धाओं को याद करने का दिन है। जिन्होंने इस भारत देश की अखंडता के लिए, भारत पर हो रहे आक्रमणों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद किसी भी विदेशी अक्रांता ने भारत पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं जुटाई। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज के बारे में सभी ने बहुत सुना है। उनके अंदर वीरता और भक्ति कूट कूट कर भरी हुई थी।
शिवाजी महाराज महिलाओं का बहुत सम्मान किया करते थे। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि अच्छा चरित्र निर्माण हमारा लक्ष्य होना चाहिए। जैसा शिवाजी के बारे में सुनते हैं, यह शुरूआत हमें अपने परिवार से करनी होगी। समाज में महिलाओं का सम्मान करें। जब हम इस बात को आगे बढ़ते हुए अपना काम करेंगे। यही उनको सच्ची श्रदांजलि होगी। यह प्रण हमें शौर्य दिन समारोह से लेकर जाना होगा। उन्होंने कहा कि आज पानीपत के तीसरे युद्ध को 261 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किये गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है वह समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। वहीं जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह समाज धीरे-धीरे अवनति को प्राप्त होते हुए लुप्तप्राय: हो जाता है। यह एक प्रसन्नता का विषय है कि वीरेंद्र मराठा और डॉ. वसंतराव मोरे के प्रयासों से हमने खोई हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया है।