पानीपत। पानीपत की पावन भूमि का नाम जिस युद्ध और मराठो के वीरता के कारण इतिहास में दर्ज हुआ सोमवार को उसी पानीपत के तीसरे युद्ध के 259 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया गया। यहां की धरती पर मराठों एवं अहमदशाह अब्दाली के बीच लड़ा गया तीसरा युद्ध किसी की जीत और हार का युद्ध नही था। बल्कि वह युद्ध देश की सीमाओं और अस्मिता को बचाने के लिए लडा गया था, जिसमें वीर मराठों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उसी वीरभूमि पर 259 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विदेश और देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे मराठों और रोड़मराठा बिरादरी के लोगों ने अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन मराठा जागृति मंच और रोड़मराठा एकता संघ के तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र मराठा ने की। वहीं कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शिरकत की। वहीं कार्यक्रम में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में सांसद संजय भाटिया, छतीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल ने शिरकत की। इसी के साथ समारोह में पर्यटन निगम के चेयरमैन व पूंडरी से विधायक रणधीर गोलन, घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण, पानीपत ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा पहुंचे। वहीं नागपुर के महाराजा मुधोजी राजे भौंसले, बाजीराव मस्तानी के वंशज नवाब शादाब बहादुर विशेष रूप से उपस्थित हुए।
वीरेंद्र मराठा ने समारोह में पहुंचने पर मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों का स्मृति चिह्न और शॉल भेंटकर स्वागत किया। मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र मराठा ने तीसरे युद्ध और युद्ध के बाद की सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में बताया। मराठा ने कहा कि युद्ध के बाद की परिस्थितियों पर अभी ओर शोध की आवश्यकता है। सीएम मनोहर लाल ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
सीएम मनोहर लाल ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि 14 जनवरी 1761 को इसी मैदान में, जहां हम आज उपस्थित हैं, एक भयंकर युद्ध हुआ। एक विदेशी अक्रांता अहमदशाह अब्दाली द्वारा भारत की अस्मिता को ललकारा गया। वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए उसका दृढ़ता से सामना किया। युद्ध में कई उतार चढ़ाव आए। इतिहासकार यह भी लिखते हैं कि चार बजे तक मराठा सेना विदेशी आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की सेना पर भारी पड़ रही थी। तत्पश्चात् परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि युद्ध में भगदड़ मच गई और अहमदशाह अब्दाली की सेना का मनोबल बढ़ गया। परिणामस्वरूप हजारों की संख्या में मराठा सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि वीर मराठों ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए इस भूमि को अपने रक्त से सींचकर दुश्मन को वापिस अपने देश जाने पर विवश कर दिया। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में मराठों ने अद्म्य साहस का ऐसा परिचय दिया कि इस युद्ध के पश्चात् किसी भी विदेशी आक्रांता का उत्तर की सीमा से आक्रमण करने का साहस नहीं हुआ। आज उस युद्ध को 259 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। उन योद्धाओं के वंशज होने के नाते आप प्रतिवर्ष इस दिन च्शौर्य दिन समारोह के रूप में कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। इसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि जो समाज अपने पूर्वजों द्वारा किये गए अच्छे कार्यों का स्मरण रखता है वह समाज निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। वहीं जो समाज अपने इतिहास को भूल जाता है, वह समाज धीरे-धीरे अवनति को प्राप्त होते हुए लुप्तप्राय: हो जाता है। यह एक प्रसन्नता का विषय है कि मराठा वीरेंद्र वर्मा तथा डॉ. वसंतराव मोरे के प्रयासों से आपने खोई हुई पहचान को पुन: प्राप्त करने का प्रयास किया है। जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। मुझे पूर्ण आशा है कि जिस मार्ग पर चलकर वीर मराठों ने राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था, उनसे प्रेरणा लेकर आप भी राष्ट्र की सेवा के लिए व इसके हित के लिए बलिदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। यहां आपके मध्य में उपस्थित होकर मुझें हर्ष का अनुभव हो रहा है। पुन: आपको उसी गौरव का स्थान प्राप्त हो, जो 259 वर्ष पूर्व था। इसके लिए आप सभी को मेरा व
सरकार द्वारा पूर्ण सहयोग मिलता रहेगा।
वहीं नागपुर के महाराजा मुधोजी राजे भौंसले ने कहा कि 259 वर्ष पहले यहां इतना भयंकर युद्ध हुआ, आज उसे याद करने में रूह कांप उठती है। लेकिन आज तक यहां पर्यटन और शौर्य स्मारक जिस प्रकार से निर्मित होना चाहिए था, वह नहीं हो पाया है। उनका प्रयास है कि यहां और महाराष्ट्र व अन्य लोगों की सहायता से यहां ट्रस्ट बनाकर एक भव्य शौर्य स्मारक का निर्माण किया जाए। ताकि उसे हम एक विशेष पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित कर सकें। इसके लिए राजपरिवार पूर्ण रूप से तैयार हैं।
वहीं बाजीराव मस्तानी के वंशज व बांदा के नवाब सादाब बहादुर ने कहा कि वह यहां दूसरे बार अपने पूर्वजों को श्रदांजलि देने के लिए पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हे इस कार्यक्रम में आकर ऐसा लगता है कि जैसा अदम्य साहस मराठों का 1761 में था, आज भी वही है। उन्होंने कहा कि शौर्य तीर्थ को ओर ज्यादा विकसित किया जाना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी यहां से इतिहासिक जानकारी प्राप्त कर प्रेरणा ले सकें।
कार्यक्रम के अंत में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. वशंत राव केशव मोरे ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल व अन्य अतिथियों ने समारोह में शामिल होकर राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले यौद्धाओं को श्रद्धांजलि देकर हमारा सम्मान बढ़ाया। उन्होंने मुख्यअतिथि सीएम मनोहर लाल सहित आए हुए अन्य अतिथियों का धन्यवाद किया।
समारोह से पहले निकली करनाल से पानीपत तक शोभयात्रा
काला आंब पर समारोह के आयोजन से पहले करनाल से पानीपत के काला आंब तक मराठा सेना शोभायात्रा निकाली गई। इसमें पानीपत के तीसरे युद्ध को झांकियों के माध्यम से दर्शाया गया। शोभायात्रा में छत्रपति शिवाजी महाराज की झांकी, जीजामाता की झांकी, मराठा सेना के तोपखाना प्रमुख इब्राहिम खान गार्दी की झांकी सहित हजारों की संख्या में लोग ढ़ोल नगाड़ों और वीरता की धुन पर युद्धभूमि में पहुंचे। शोभयात्रा के माध्यम से प्राचीन युद्ध कला के करतब भी दिखाए गए। मराठा सेना शोभायात्रा ने तीसरे युद्ध के इतिहास को एक बार फिर जीवंत कर दिया।
मंच पर ये रहे मौजूद
कार्यक्रम में सांसद संजय भाटिया, नंद कुमार बघेल, पर्यटन निगम हरियाणा के चेयरमैन व पूंडरी से विधायक रणधीर गोलन, विधायक हरविंद्र कल्याण, एडवोकेट वेदपाल, विधायक महिपाल ढांडा, राजेश गोयल, सुरेंद्र अहलावत, स्नेहा गावकर, स्र्वणा मोहिते, विलाश पाटिल आईएएस मुंबई, संगीता मुंबई, डॉ. होमराजन गौवरिया मोरिशश, मनीषा माने, इंदिरा मराठा नेपाल, सुरेंद्र धवले मुंबई, वशंतकेशव मोरे, स्वाति कदम हुबली कर्नाटक, किशोर चव्हाण अध्यक्ष छावा महाराष्ट्र मौजूद रहे।
मराठा जागृति मंच के विभिन्न प्रदेशों के अध्यक्ष मौजूद रहे
मोरिशश के अध्यक्ष डॉ. होमराजन गोवरिया, नेपाल की अध्यक्षा मराठा इंदिरा थापा, उतराखंड से मराठा लक्ष्मण, उत्तरप्रदेश से मराठा धीरेंद्र गंगवार, राजस्थान से मराठा घनश्याम होलकर, मध्यप्रदेश से मराठा अरूण साबले पाटिल, महाराष्ट्र से मराठा मिलिंद पाटिल, छतीसगढ से मराठा आनंद महाडीक, आंध्रप्रदेश से मराठा शंकर राव जाधव, कर्नाटक से मराठा यशवंत राव सूर्यवंशी, गोवा से राजाराम पाटिल, पंजाब से जगदीश हसबे मौजूद रहे।
महाराष्ट्र से विभिन्न जिलों से जिलाध्यक्ष मौजूद रहे
नासिक से मराठा राकेश हीरे, जालना से मराठा विजय प्रताप घोंगे, परभणी से आत्मा राम, हिंगोली से प्रहलाद, मुंबई से सुरेश पारटे, ठाणे से संजय जाधव, ठाणे से महिला जिलाध्यक्ष मराठा स्नेहा, कोल्हापुर से मराठा मारूति जाधव, सतारा से मराठा हेमंत निकम, चंद्रपुर से मराठा सुनील सेल्के, बीड़ से मराठा विजय सिह सौलंकी, धुले से मराठा निंबाजी, सोलापुर से मराठा गणेश मोरे, संभाजीनगर से मराठा स्वर्णा मोहिते, हुबली कर्नाटक से मराठा स्वाति कदम सहित अन्य मौजूद रहे।