पानीपत। पानीपत की पावन भूमि का नाम जिस युद्ध और मराठो के वीरता के कारण इतिहास में दर्ज हुआ सोमवार को उसी पानीपत के तीसरे युद्ध के 258 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शौर्य दिन समारोह का आयोजन किया गया। यहां की धरती पर मराठों एवं अहमदशाह अब्दाली के बीच लड़ा गया तीसरा युद्ध किसी की जीत और हार का युद्ध नही था। बल्कि वह युद्ध देश की सीमाओं और अस्मिता को बचाने के लिए लडा गया था, जिसमें वीर मराठों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उसी वीरभूमि पर 258 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विदेश और देश के 14 राज्यों से पहुंचे मराठों और रोड़मराठा बिरादरी ने अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का आयोजन मराठा जागृति मंच और रोड़मराठा एकता संघ के तत्वाधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र मराठा ने की। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शिरकत की। वीरेंद्र मराठा ने समारोह में पहुंचने पर हुड्डा का स्मृति चिह्न और शॉल भेंटकर स्वागत किया। मंच के अध्यक्ष वीरेंद्र मराठा ने तीसरे युद्ध और युद्ध के बाद की सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के बारे में बताया। मराठा ने कहा कि युद्ध के बाद की परििस्थतियों पर अभी ओर शोध की आवश्यकता है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरूआत की। लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि शौर्य दिन समारोह मराठा योद्धाओं की याद में मराठा जागृति मंच द्वारा मनाया जाना हरियाणा के लिए गौरव की बात है। इन योद्धाओं ने राष्ट्र की अस्मिता के लिए विदेशी आक्रांता अहमदशाह अब्दाली के विरूद्ध लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर करते हुए अपने रक्त से इस भूमि को सींचकर दुश्मन को वापिस भागने पर मजबूर कर दिया। इस बात पर हम सभी को गर्व है। हुड्डा ने कहा कि जैसा कि वीरेंद्र मराठा ने बताया कि इस युद्ध के बाद की परिस्थितियों से हरियाणा के सामाजिक ताने बाने पर दूरगामी प्रभाव पड़े। ऐतिहासिक तथ्यों से ये भी साबित है कि हरियाणा में बसने वाला रोड़ समाज उन्ही मराठा योद्धाओं का वंशज है। यह भी एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि इस युद्ध से बचा एक भी मराठा वापिस नहीं पहुंच सका। हुड्डा ने जोर देकर कहा कि इस युद्ध में बचे बहुत से भाईयों ने रास्ते में पडऩे वाले हमारे गांवों में शरण ली। उन्होंने कहा कि खुद हमारे गांव सांघी में मराठों का मंदिर इस बात का सबूत है कि हमारे गांव में भी इस युद्ध से बचे मराठा भाई गए और हमारे पूर्वजों ने उन्हे अपनाया। हुड्डा ने कहा कि मेरा आपसे विशेष तौर पर ऐतिहासिक व समाजिक संबंध है। हमारे बीच आकर्षण और समानता का यही ऐतिहासिक कारण है। मुझे इस बात का गर्व है कि आप हमारे भाई हैं। हुडडा ने कहा कि वीरेंदर मराठा उनके भाई है। हुडडा ने कहा कि वह वीरेंदर मराठा के उज्ज्वल भविष्य के लिए कांग्रेस पार्टी में पूरा जोर लगाएंगे। हुडडा ने कहा कि वीरेन्द्र मराठा की पिछले 17 सालों की मेहनत का फल मिलने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हरियााणा के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप में भी इस युद्ध और आपका बहुत योगदान है। हरियाणा का भाईचारा, शूरवीरता, कृषि संस्कृति व खेलों में भी आपका बहुत योगदान है। हुड्डा ने पुरानी याद दिलाते हुए कहा कि एक बात मै आपको ओर स्पष्ट कर दूं कि पहले मैं मुख्यमंत्री के तौर पर महामहिम राष्ट्रपति के साथ यहां आया था। परंतु आज मैं अपने भाईयों के बीच एक भाई के रूप में आया हूं। आओ हम सभी मिलकर अपने हरियाणा को फिर से नंबर वन बनाने के लिए मेहनत करें। पानीपत की यह भूमि हमारे लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। परमात्मा ने यदि मुझे मौका दिया तो हम और आप मिलकर इसका ऐसा विकास करेंगे कि दुनिया के लिए यह आकर्षण का केंद्र बन जाए। कार्यक्रम के अंत में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. वशंत राव केशव मोरे ने कहा कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने समारोह में शामिल होकर राष्ट्र के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले यौद्धाओं को श्रद्धांजलि देकर हमारा सम्मान बढ़ाया। उन्होंने मुख्यअतिथि भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित आए हुए अन्य अतिथियों का धन्यवाद किया।
इस अवसर पे डॉ वंशत राव केशव मोरे, गिरीश जाधव, प्रभाकर, आत्माराम, प्रवीण सिंधे, धनाजी पाटिल, सुहानी पाटिल, संकेत, राकेश अहीरे, अमित जाधव, केतनजी पाटिल, अशोक पाटोकर, प्रहलाद जगताप, संजय जाधव, महेश जी, अरूण सावले° राजेश चौधरी, अनिल सालुंखे, शेखर शिंदे, संजय गोंगे, लोकेश गायकवाड, सुरेंद्र धवले, इंदिरा मराठा नेपाल, सुचेता ताई देशमुख, रश्मि मुलेकर, नाना देवकर, केदारनाथ सचान, हनुमंत माणे, सुरेश पार्टे, वामनराव भिलारे सहित अन्य शामिल रहे।