संस्थापक
हिंदवी स्वराज्य , मराठा सेना
मराठा जाग्रति मंच (हरियाणा) की पुस्तक "रोड़मराठा इतिहास भाग-2" पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई। इस पुस्तक के संदर्भ में अपनी शुभाशंसा प्रस्तुत करने में, मैं गौरव का अनुभव कर रहा हूँ। स्वातंत्र्य सूर्य शिवाजी भारतीय राष्ट्रवाद के जनक हैं। उनके ही वंशजों ने स्वतंत्रता का परचम पूरे भारतवर्ष में लहराया। इस महान कार्य में अपना बलिदान देकर भारतीय अस्मिता की रक्षा करने वाले पानीपत की तीसरी लड़ाई में (इ. स. 1761) दुर्भाग्य से हारे हुए वीर मराठों के वंशज ही आज का रोड़मराठा इतिहास की सत्यता पर किंचित भी शक की गुंजाईश नहीं रहती।, महाभारत में पांडवों के लिए एक साल का अज्ञातवास था, परंतु शिवभारत के इन रोड़मराठों के लिए लगभग ढाई सौ साल का अज्ञातवास रहा है। इन पुरुषार्थी वीर पुरूषों का अज्ञातवास अब समाप्त हो गया है। अपने गौरवशाली इतिहास के आधार पर यह रोड़मराठा समाज निश्चित ही भारत को महान बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। मुझे पुरा विश्वास है कि यह पुस्तक विलुप्त हो रहे समाज को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़कर सफ़लता की सीढ़ियों तक पहुँचाएगी।
शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में 'छ्त्रपति शाहू महाराज मराठा इतिहास अनुसंधान केन्द्र द्वारा हम रोड़मराठा समाज का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आदि विविध स्तर पर अनुसंधान प्रारंभ कर रहे हैं। इस अनुसंधान कार्य में 'कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और मराठा जाग्रति मंच' का सहयोग हम प्राप्त करेंगे।
मुझे इस बात की खुशी है कि ' रोड़मराठा इतिहास भाग -1 और रोड़मराठा इतिहास भाग-2' पुस्तकें महाराष्ट्र में मराठा बंधुओं को 1761 की पानिपत की तीसरी लड़ाई में खोए हुए भाईयों से फ़िर से सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध स्थापित करने में बहुत ही सहायक होंगी। यह पुस्तक प्रसादगुण युक्त सरल भाषा में होने के कारण आम आदमी इसे आसानी से समझ सकेगा। मराठा जागृति मंच के इस ऐतिहासिक महत्वपूर्ण कार्य के लिए मेरी शुभकामनाएँ बनी रहेंगी।